" धुंद होते शब्द सारे, धुंद होत्या भावना
वाऱ्यासंगे वाहता त्या फुलापाशी थांबना...."
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"तुला पाहतो मी मला पाहताना,
कधी माझी या तू सामोरीच येना..."
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" तू सांग सखे मज काय, मी सांगू या घरदारा,
समईचा जीव उदास, माझ्यासह मिणमिण मिटतो "
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" तुझा शब्द की, थेंब हा अमृताचा
तुझा स्पर्श की, हात हा चांदण्याचा
तुझा स्पर्श की, हात हा चांदण्याचा
उगा लाजण्याचा, किती हा बहाणा
शब्दरूप आले मुक्या भावनांना....."
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